Movierulz Joram Movie Review

            JORAM HINDI MOVIE REVIEW 


 

              Joram Movie in Hindi review


Director : Devashish Makhiji

Writer: Devashish makhiji

All actor names : Manoj Bajpayee, Mohammed Zeeshan Ayyub,Smita Tambe, Tannishtha Chatterjee.

Duration : 1 Hour 59 minutes


STORY : 

रियलिटी को दिखाता है तो कभी ऐसी दुनिया को दिखाता है| जो कभी एक्जिस्ट ही नहीं करती जिसे हम फिक्शनल स्टोरी वगैरा कहते हैं | जो कभी एक्जिस्ट नहीं करती जिसे हम फिक्शनल स्टोरी का सच सामने रखती है और उसकी बीवी खुशहाल एक गांव में रहते हैं| लेकिन अचानक कुछ ऐसा होता है| जिससे उन्हें मुंबई जाना पड़ता है लगते हैं। मजदूरी करने लगते हैं और अब उनकी एक 3 महीने की प्यारी सी बेटी भी है| स्टोरी में जब 10 रूप घर में अपने झोपड़ी में आता है और हे फाउंड उसकी उसकी बीवी को किसी ने बेरहमी से उल्टा लट का पर भी हमला किया जाता है | यह सब क्यों उसे अपना गांव छोड़ना पड़ा क्यों उसकी बीवी को मार डाला गया और लोग उसके पीछे क्यों पड़े हैं| जानने के लिए मूवी आप थिएटर में जाकर देख सकते हो एनिमल जुर्म के शूज खाना गया हो मेरे यहां नागपुर में जहां पर मैं रहता हूं यहां पर ऑलमोस्ट 15 से 20 थिएटर तो है| ना ही लोग ऐसी क्रिटिकली एक्लेमद मूवीस को देखने में इंटरेस्टेड है| कैसे पर्दे पर उतर जाता है |रियलिटी को बिना ग्लैमराइज किए कैसे पर्दे पर उतर जाता है |पॉलिटिक्स काम कैसे करता है| यह दिखाइए आपके पूरे एक्टिंग परफॉर्मेंस क्या है| यार सिनेमा इंडस्ट्री परफॉर्मेंस नहीं है| दिखने वाली हीरोइंस कितना सिगरेट मुंह में रखे अपने आप को अल्फा मेल खाने वाले अनरियलिस्टिक हीरोज फॉर एवरीवन ए रिपीट नॉट फॉर एवरीवन फिल्म जाती है| फेस्टिवल भूषण फिल्म फेस्टिवल और शिकागो फिल्म फेस्टिवल होती ही नहीं है| आईटी हस लिमिटेड ऑडियंस क्राइटेरिया और फैमिली के साथ रिलाइज हाउ आईटी शोल्ड एंड जरूर दीजिए स्टोरी को थोड़ा और टाइट रखने तो ज्यादा अच्छा होता है|



कभी-कभी यह वास्तविकता को चित्रित करता है, जबकि अन्य बार यह एक काल्पनिक दुनिया प्रस्तुत करता है जिसका अस्तित्व ही नहीं है, जैसे कि एक काल्पनिक कहानी। इस कहानी में, एक आदमी और उसकी पत्नी एक गाँव में खुशी से रहते हैं, लेकिन कुछ अप्रत्याशित घटित होता है जो उन्हें मुंबई जाने के लिए मजबूर करता है। वे मज़दूर के रूप में काम करना शुरू करते हैं और अंततः उनकी तीन महीने की एक खूबसूरत बेटी होती है। हालाँकि, कहानी में काला मोड़ तब आता है जब आदमी एक दिन घर लौटता है और देखता है कि उसकी पत्नी पर बेरहमी से हमला किया गया है। यह घटना सवाल उठाती है कि उन्हें अपना गांव क्यों छोड़ना पड़ा, उनकी पत्नी की हत्या क्यों की गई और लोग उनके पीछे क्यों हैं। उत्तर खोजने के लिए, कोई फिल्म एनिमल जुर्म के जूता खाना देख सकता है, जो वर्तमान में नागपुर में चल रही है, जहां मैं रहता हूं। दुर्भाग्य से, समीक्षकों द्वारा प्रशंसित इस फिल्म को दिखाने वाले बहुत सारे थिएटर नहीं हैं, और दर्शकों की रुचि भी सीमित है। फिल्म वास्तविकता को बिना ग्लैमराइज़ किए दर्शाती है और राजनीतिक विषयों की पड़ताल करती है। मैं आपके अभिनय प्रदर्शन को देखने और सिनेमा उद्योग की प्रामाणिकता को देखने के लिए उत्सुक हूं। हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह फिल्म हर किसी को पसंद नहीं आ सकती है, क्योंकि इसमें विशिष्ट दर्शक मानदंड हैं और यह पारिवारिक देखने के लिए अधिक उपयुक्त है। इसलिए, इसके प्रभाव को बढ़ाने के लिए कहानी को कड़ा करना फायदेमंद होगा।

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